नई दिल्ली। उपहार सिनेमा अग्निकांड में अंसल बंधुओं को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने 1997 उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले के पीडतिों के एक संघ की सधारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पिटिशन) गरुवार को खारिज कर दीइसका अर्थ यह हुआ कि अंसल बंधुओं की जेल की सजा और नहीं बढ़ाई जाएगी। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एन वी रमण और जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने उपहार कांड पीडति संघ (एवीयूटी) की सुधारात्मक याचिका पर बंद कमरे में सुनवाई की और उसे खारिज कर दिया ।सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, हमने सुधारात्मक याचिका और प्रासंगिक दस्तावेजों पर गौर किया है। हमारी राय में, कोई मामला नहीं बनता है.... इसलिए, सुधारात्मक याचिका खारिज की जाती है। इससे पहले, नौ फरवरी 2017 को तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 2-1 के बहुमत वाले फैसले में 78 वर्षीय सुशील अंसल को आय संबंधी दिक्कतों के चलते उसके जेल में रहने की अवधि के बराबर सजा देकर राहत दे दी थी। पीठ ने हालांकि, उसके छोटे भाई गोपाल अंसल से मामले में शेष बची एक साल की सजा पूरी करने को कहा था। एवीयूटी ने सुधारात्मक याचिका दायर करके इस फैसले पर पुनर्विचार किए जाने का अनुरोध किया था साल 1997 में 13 जून को राजधानी दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमाघर में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस भीषण अग्निकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उपहार सिनेमा में %बॉर्डर% फिल्म लगी थी। लोग फिल्म देख रहे थे उसी दौरान सिनेमाघर के ट्रांसफार्मर कक्ष में आग लग गई, जो तेजी से अन्य हिस्सों में फैली। घटना की जांच के दौरान पता चला था कि सिनेमाघर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे। 3 जून 1997- उपहार सिनेमा में बॉर्डर फिल्म देख रहे 59 लोगों की आग में जलने से मौत हो गई22 जुलाई 1997- पुलिस ने उपहार सिनेमा मालिक सुशील अंसल व उसके बेटे प्रणव अंसल को मुंबई से गिरफ्तार किया।24 जुलाई 1997- मामले की जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआइ को सौंपी गई।15 नवंबर 1997- सीबीआइ ने सुशील अंसल, गोपाल अंसल सहित 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की 10 मार्च 1999- दिल्ली के एक सेशन कोर्ट में केस का ट्रायल शुरू हुआ।27 फरवरी 2001- अदालत ने सभी आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या, लापरवाही व अन्य मामलों के तहत आरोप तय किए।23 मई 2001- गवाहों की गवाही का दौर शुरू हआ। 4 अप्रैल 2002- दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत को मामले का जल्द निपटारा करने का आदेश दिया ।27 जनवरी 2003- अदालत ने अंसल बंधुओं की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने उपहार सिनेमा को वापस सौंपे जाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि सिनेमाघर अग्नि कांड केस में अहम सबूत है और मामले के निपटारे तक इसे सौंपा नहीं जा सकता। 24 अप्रैल 2003- हाईकोर्ट ने 18 करोड़ रुपए का मुआवजा पी?ितों के परिवार वालों को दिए जाने का आदेश जारी किया। 4 सितंबर 2004- अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की। 5 नवंबर 2005- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही शुरू हुई। 2 अगस्त 2006- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही पूरी। 9 अगस्त 2006- दिल्ली सेशन कोर्ट जज ममता सहगल ने उपहार सिनेमा का निरीक्षण किया। 14 फरवरी 2007- केस में अंतिम जिरह शुरू हुई। 21 अगस्त 2007- उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले का जल्द निपटारा किए जाने की मांग की। 21 अगस्त 2007- दिल्ली सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा। 20 नवंबर 2007- अदालत ने सुशील व गोपाल अंसल सहित 12 आरोपियों को दोषी करार दिया। सभी को दो साल कैद की सजा सुनाई। 4 जनवरी 2008- हाईकोर्ट से अंसल बंधुओं व दो अन्य को जमानत मिली। 11 सितंबर 2008- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की जमानत रद्द की और उन्हें तिहा? जेल भेजा गया। 17 नवंबर 2008- दिल्ली हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा। 19 दिसंबर 2008- हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दिया और छह अन्य आरोपियों की सजा को बरकरार रखा। 30 जनवरी 2009- उपहार कांड पी?ितों के संगठन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं को नोटिस जारी किया। 31 जनवरी 2009- सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में भी अभियुक्तों की सजा को बढ़ाए जाने की मांग की। 17 अप्रैल 2013- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं, उपहार कांड पी?ितों व सीबीआइ की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। 5 मार्च 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को बरकरार रखा। 19 अगस्त 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं पर 30-30 लाख का जुर्माना लगाकर उन्हें रिहा कर दिया।